गर विरह में रच सको कोई मिलन का कोई गीत तुम...
गर प्रलाप गान को कह सको कभी संगीत तुम...........
तब समझो तुम कवि हुए...
Monday, October 15, 2012
मुक्तक.......
मैं अपना हूँ तुम्हारा हूँ ,या फिर कोई पराया हूँ
मुझे आकर ये समझा दो ,कि हूँ आखिर तो मैं क्या हूँ
तुम वो धूप हो हमदम , मुझे जिसकी जरुरत है
तुम्हे जो चाहिए हर पल ,मैं वो शीतल सी छाया हूँII
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