Thursday, February 9, 2012

बेचैन धडकनें हैं........

 





दोस्तों! मेरा एक गीत आदरणीय समीर साहब (सुप्रसिद्ध गीतकार) के निर्देशन वाली वेबसाइट TUMBHI में प्रकाशित हुआ....ये सब आप लोगों की मोहब्बत और ऊपर वाले का रहमो करम है...


बेचैन धडकनें हैं छाया सुरूर है...
मदहोश है समां कुछ होना जरुर है...

बरसों की प्यासी है जमीं बन जाओ अब्र तुम
तुम मुझ पे बरस जाओ मैं हो जाऊं तुझमे गुम
ये उलझी हुई जुल्फें सुलझ जाएँ आज तो
न मेरा कुसूर है न तुम्हारा कुसूर है........
बेचैन धडकनें हैं छाया सुरूर है...
मदहोश है समां कुछ होना जरुर है...

बढती ही जा रही है साँसों की बेकरारी
चढती ही जा रही है अरमानों पे खुमारी
चटका है आज पत्थर भी शीशे की चोट से
कैसा अजब फ़साना ये मेरे हुजूर है...
बेचैन धडकनें हैं छाया सुरूर है...
मदहोश है समां कुछ होना जरुर है...

 Kavi Deependra